खबर संसार नई दिल्ली। ईट का जवाब पत्थर से!ताइवान ने किया ये वीडियो जारी।जी हा चीन ने आज सुबह धमकी दी थी कि चीन का एयर स्पेस ना करे नैंसी पेलोसी अपनी अगली यात्रा में। चीन ने ताईवान के चारो ओर समुंद्री सीमा में अपनी सेना तैनात कर दी। जिससे युद्ध की संभावनाओं को बल मिलने लगा। अभी नैंसी को साउथ कोरिया जाना है। बयानवाही तेज हो गई है। बताते चले की आयरलैंड स्मॉल टापू है जिसकी आबादी 2 करोड़ से अधिक है। फिलहाल मामला गंभीर बना हुआ है।
ईट का जवाब पत्थर से!ताइवान ने किया ये वीडियो जारी
इससे पूर्व अमेरिका और चीन के बीच ताइवान को लेकर तनातनी युद्ध के स्तर पर पहुंच गई है। अमेरिका ने चीन को यह साफ संदेश दे दिया है कि वह ताइवान की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। ऐसे में यह जिज्ञासा पैदा होती है कि आखिर एक छोटे से द्वीप के लिए अमेरिका ने चीन से पंगा क्यों लिया। ताइवान अमेरिका के लिए क्यों उपयोगी है।
सामरिक रूप से क्यों उपयोगी है ताइवान
विदेश मामलों के जानकार कहते है कि सामरिक रूप से ताइवान द्वीप अमेरिका के लिए काफी उपयोगी है। अमेरिका की विदेश नीति के लिहाज से ये सभी द्वीप काफी अहम हैं। चीन यदि ताइवान पर अपना प्रभुत्व कायम कर लेता है तो वह पश्चिमी प्रशांत महासागर में अपना दबदबा कायम करने में सफल हो सकता है। उसके बाद गुआम और हवाई द्वीपों पर मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकाने को भी खतरा हो सकता है। इसलिए अमेरिका, ताइवान को लेकर पूरी तरह से चौंकन्ना है। उन्होंने कहा कि यहीं कारण है कि अमेरिका ने ताइवान के साथ उसकी सुरक्षा का समझौता किया है।
2000 में चीन और ताइवान के तल्ख हुए रिश्ते
वर्ष 2000 में चेन श्वाय बियान ताइवान के राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। बियान ने ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन किया। यह बात चीन को हजम नहीं हुई। तब से ताइवान-चीन के रिश्ते काफी तल्ख हो गए। डोनल्ड ट्रंप के कार्यकाल में ताइवान और अमेरिका एक-दूसरे के नजदीक आए। अपने कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने ताइवान की तत्कालीन राष्ट्रपति साइ इंग वेन से फोन पर वार्ता की थी। इसे अमेरिका की ताइवान को लेकर चली आ रही नीति में बड़े बदलाव के संकेत के तौर पर देखा गया था। मौजूदा राष्ट्रपति बाइडन भी अपने पूर्ववर्ती ट्रंप की तरह ताइवान को संरक्षण दे रहे हैं।